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सर्पागमन

डिस्क्लेमर :- निम्नलिखित  लेख सिर्फ विनोद के लिए है हमने बहुत ही अच्छे पडोसी पाए है इसको पढ़कर  कोई पूर्वाग्रह न बनाये  हाल ही में लेखक के घर एक सांप का आगमन हुआ। किसी भी ठीक ठाक ब्रह्मांड में ये बात थोड़ी सी चिंता की थी जिसको थोड़ी सी सावधानी रखते हुए आसानी से दूर किया जा सकता था। जैसे खुद भागकर या किसी सांप पकड़ने वाले को बुलाकर या वन विभाग के कर्मचारियों से संपर्क करके इस समस्या को निपटाया जा   सकता था।  लेखक को भी यही लगा था अतः उसने कुछ अधिकारीयों से संपर्क किया और उधर से भी त्वरित कार्यवाही की बात कही गयी।  कुल मिलाकर सब सही  चल रहा था। परन्तु लेखक का समय बहुत अच्छा चल रहा था , इसीलिए देवयोग से किसी प्यारे पडोसी को पता लग गया कि लेखक के घर सांप निकला है फिर क्या था ये खबर जंगल की आग की तरह फ़ैल गयी कि " लेखक के घर सांप निकला है " इसी बात को ध्यान में रखते हुए आसपास के सारे "सांपनाथ और नागनाथ " निकल पड़े लेखक के घर की ओर।  जल्दी ही बड़े बड़े दावे सुनाई देने लगे जैसे "भाईसाहब कहें तो मार दें"  लेखक जनता था की ये सांप तो है पर "आस्तीन" वाला न

भारतीय और संक्रमण

अभी  हाल ही में दुनिया का सामना एक बहुत ही खतरनाक वायरस संक्रमण से हुआ है ,"कोरोना" नाम है उसका।  नाम से लगता है कोई  बंगाली भद्रमानुष किसी को कुछ काम करने का आग्रह कर रहा हो "हे दादा तुमि किछु कोरोना" |  परन्तु आप सभी की जानकारी के अनुसार ये वायरस चाइनीज़ है।  पूरी दुनिया में उत्पात मचाते हुये ये भारत पहुंचा है।  बस यही गलती कर गया, भैया हमसे यूनानी हारे , मंगोल हारे और न जाने कितनो को तो मार के हाथ तक नहीं धोये।  परन्तु हमारी सदियों की मार कर हाथ न धोने वाली आदत को ही इस दुश्मन ने हथियार बनाया है।  ये जानता है की हम आन में विश्वास रखते है जोकि सदियों से चली आ रही है ,कि मार कर हाथ नहीं होना है परन्तु इस "नीच" की वजह से "जो हाथ नहीं धोते वो जान से हाथ धो बैठते हैं"।   इसने लगता है हम पर बहुत Research की है (कतई साइंटिफिक हुआ जा रहा है 😠) | हमारी एक और आदत रही है सदियों की ,"मूछों पर ताव देने की" पर इस वायरस ने उसे भी हथियार बना लिया और आँख नाक मुँह पर हाथ न फेरने की भद्दी शर्त रख दी | आप समझ रहे है हमारे कितना खिलाफ है यह वायरस | इध