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भविष्य का इतिहास

आजकल हम इतिहास के स्वर्णकाल में जी रहे हैं | यक़ीनन ये इतिहास का स्वर्णकाल है | आजकल भारत में हर जगह इतिहासकार पैदा हो गए हैं | ये इतिहासकार इतिहास को इतिहास की तरह नहीं देखते अपितु एक भारी गलती की तरह देखते हैं | और जिसको ये हमारे इतिहासवीर बदल के ठीक करने के अथक प्रयासों में लगे हुए हैं | वे इस कार्य में इतने निपुण है कि कभी कभी तथ्य न भी होने की  स्थिति में वे स्वयं के मन मुताबिक तथ्य  उत्पन्न कर लेते हैं | असल इतिहासकारों में ऐसी प्रतिभा नहीं देखी गयी थी | हमारे इन इतिहासवीरों ने स्वयं "इतिहास" को आत्मविष्लेषण करने पे विवश कर दिया है | आज के दौर में आप तथ्यों की बात न ही करें तो बेहतर है , अन्यथा आपके ऊपर कुतर्कों की ऐसी बारिश की जाएगी कि आपकी आत्मा तक सोचने लगेगी कि कहीं मेरे द्वारा दिए गए तथ्य व्यर्थ तो नहीं | आजकल देखा जा रहा है ज्यादार तथ्य देना व्यर्थ ही हो गया है | आजकल इतिहास को तथ्यों की नहीं बल्कि कपोल कल्पनाओं की ज्यादा आवश्यकता है | जिससे किसी व्यक्ति या दल विशेष का स्वार्थ पोषित हो सके | सही भी है ऐसे इतिहास का भी  क्या लाभ जिससे किसी बिचारे का धंधा भी न चल पा