History now-a-days

बहुत समय बाद अपनी लेखनी उठाई है | या कहिए की उठवाई गयी है आजकल नया चला है भाईसाहब कोई कुछ पूछे तो ज्ञान देदो "क्यू उस दिन कहाँ थे जब शर्मा जी की बनियान बंदर उठा के ले गया था कितना रोए थे शर्मा जी अपने अंगवस्त्र के लिए पर तुमको उनके आँसू कहाँ दिखेंगे तुम सियूडो-सेकुलर जो ठहरे" | नही ये बताने के लिए नही आए है के उस दिन हम उठे ही १०:३० पर थे | अब बंदर को पीछे से गरियाने से शर्मा जी की बनियान वापस तो आ नही जाती | हम तो सोच रहे है सामने से जो बंदर कच्छा उड़ाने तैयार बैठा है उसका क्या किया जाए | आज एक नया लेख पढ़ा जिसमे लिखा था रुपया डॉलर से नीचे गिर गया है मतलब अमरिकी डॉलर महेंगा हो गया है | हमारे कई मित्र इस बात से बहुत परेशान है | सब के सब बुड्बक हो गये है अरे भाई उनका पैसा महेंगा हुआ तो वो जाने तुम लोग काहे चूड़ी फोड़ रहे हो | फिर किसी ने बताया के इसकी वजह से पेट्रोल महेंगा हो गया है हम तमतमा उठे | लगा उठा के सारे डॉलारो मे आग लगा दें | पर हमारे पास थे ही नही | ओर जेब के उस पुराने पाँच के नोट से हम रसगुल्ला खा सकते है जिससे हम डॉलर को भूल जाए | आर्थिक समाचार सिर्फ़ आर्थिक तौर पर मजबूत लोगों को ही पढ़ने चाहिए | हम जैसे लोगों को प्याज से रोटी दे दो भाई बांकी भारत भाग्य विधाता तो है ही | आजकल इतिहास पे भी बात करना व्यर्थ ही है काहे की रोज चेंज हो रहा है तीन तीन सदियों के महापुरुष आपस मे बात करने एक साथ आ बैठते है अब इस गति से अगर इतिहास बदलेगा तो कैसे बात करिएगा उसपे | पहले पूरा बदल जाने दो जैसे थॉमस मोरे ने यूटोपिया मे "एंड ऑफ हिस्टरी " बताया था उसी प्रकार हमारे महापुरुषों  को भी "चेंज ऑफ हिस्टरी" नमक ग्रंथ की रचना जल्दी ही कर देनी चाहिए | भारत मे चीज़ों को लोग ज़्यादा सीरियस्ली नही लेते ओर इतिहास को तो ख़ासकर नही | इसके दो कारण है एक तो मरे गिरे लोगों के बारे मे पढ़ते है ओर दूसरा रात भर याद करने (रतने) के बाद भी सवेरे तक अकबर का बेटा हुमायूँ हो जाता है | लोग इतिहास मे Dynamism चाहते है जिससे उसको वक़्त पड़ने पर बदला या ख़त्म किया जा सके | अगर आज के जमाने मे इतिहासकार बनना है तो आपको सबसे ज़रूरी चीज़ की ज़रूरत पड़ेगी ना किताब नही जी वाट्सअप्प ये उस यूनिवर्सिटी का नाम है जहाँ "चेंज ऑफ हिस्टरी" नमक ग्रंथ के लिए व्यापक जानकारी उपलब्ध है आप चाहे ना चाहे आपके दिमाग़ मे ये जानकरी ठूंस दी जाएगी के नाथूराम एक भला आदमी था | आजकल भारत इतिहास लेखन के स्वर्णकाल मे है | आज से ज़्यादा हिस्टोरियन्स भारत मे कभी नही हुए हर बंदे को पता है की नेहरू ने कितनी ग़लतियाँ की थी | ओर अगर ये महाशय गुटखा थूक के भी देश को आज़ाद करवाने निकलते तो १५०० मे ही करवा लिए होते | परंतु आजकल इतने इतिहासकार होने से फ़ायडा भी बहुत हुआ है | आज हमारे मास्टर लोग बच्चे को इतिहास मे ग़लती करने पे मारते नही है | उदाहरण के तौर पे अगर सोनू स्कूल मे बोल आए के हिट्लर का बाप स्टालिन था तो मास्टर साहब कहेंगे के कल तक तो नही था , पर क्या पता आज हो गया हो | 
अर्थात ये बदलता इतिहास आपके बच्चे के कोमल गालों के लिए एकदम ठीक है |


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